भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थोड़बे काल / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
एखनि छै इजोरिया
थोड़ेक कालक बाद नहि रहतै
एखनि फुलयल छै फूल
थोड़ेक कालक बाद नहि रहतै
एखनि छै बुलबुला
थोड़ेक कालक बाद नहि रहतै
एखनि छै अन्हर
थोड़ेक कालक बाद नहि रहतै
एखनि उगल छै पनिसोखा
थोड़ेक कालक बाद नहि रहतै
एखनि छै फनिगा
थोड़ेक कालक बाद नहि रहतै।
आबी
थोड़ेक काल जे अछि हमरा लग
ओकरा उपयोगी बनाबी।