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थोड़ा सा आकाश / नरेश मेहन

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कोई लौटा दे
मुझे तकली व सूत
तख्ती व कलम
साथ में
सयानी बूआ।
मिट्टी से खेलना
मिट्टी से औढ़ना

मिट्टी से नहाना
पूछो बच्चों से
गंदे होने के डर से
क्यों नहीं
खेलते मिट्टी से।
कहां गये
कच्ची ईटों व
खपरैलों के
वे छोटे-छोटे मकान
और
वो बड़े-बड़े पेड़?
बस
अब तो बचा है
थोड़ा सा आकाश
कम हवा
और अधिक घुटन