थोड़ी वज़ाहतें भी तो हस्ती में डाल दूँ / रवि सिन्हा
थोड़ी वजाहतें<ref>कारण, व्याख्याएँ (reasons, explanations)</ref> भी तो हस्ती<ref>अस्तित्व (existence)</ref> में डाल दूँ
इस शाम कुछ नहीं तो ये दुनिया सँभाल दूँ
बैठा हुआ हूँ ख़ल्वते-वाहिद<ref>ईश्वर का एकान्त (God’s loneliness)</ref> में बेजिहात<ref>बिना दिशाओं के, निष्प्रयोजन (without directions or purpose)</ref>
यूँ ही ख़ला<ref>शून्य, अन्तरिक्ष (vacuum, space)</ref> में क्यूँ न कुछ तारे उछाल दूँ
सारी ज़मीन ढँक तो दी अपने वजूद से
सूना पड़ा हो आसमाँ तो इक हिलाल<ref>नया चाँद (New Moon)</ref> दूँ
माना के ख़ाक में निहाँ<ref>छुपा हुआ (hidden)</ref> इमकान-ए-हयात<ref>जीवन की सम्भावना (possibility of life)</ref>
मिट्टी में क्यूँ न बीज कुछ ख़्वाहिश के डाल दूँ
दौरे-जदीद<ref>आधुनिक युग (modern times)</ref> ख़ल्क़<ref>अवाम, सृष्टि (People, Creation)</ref> है हर बात का जवाब
मैं हूँ कि हर जवाब को वापस सवाल दूँ
बुनियाद संगो-ख़िश्त<ref>पत्थर और ईंट (stone and brick)</ref> जो होंगे मकान के
तामीर<ref>संरचना, बनावट (structure)</ref> की कहो मैं क्या उनको मिसाल दूँ
आँखों में कुछ नज़र तो है मुँह में ज़ुबान भी
तेरे मुजस्सिमे<ref>मूर्ति (statue)</ref> को आ हुस्नो-जमाल<ref>रूप और सौन्दर्य (beauty and grandeur)</ref> दूँ