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थोड़ी सी गद्दारी रख / दीपक शर्मा 'दीप'

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थोड़ी सी गद्दारी रख
याने मुझसे यारी रख

जाने किस दिन चलना हो
पहले से तैयारी रख

तनहा रहना ठीक नहीं
थोड़ी दुनियादारी रख

ग़मज़दगी का कहना है
 पलकों पे बेदारी रख

हर पारी को खेल मगर
आगे अगली पारी रख

नश्शे!उजलत कैसी है?
थोड़े दिन तो तारी रख

या तो ग़ज़ले कहना छोड़
  या उनको मेयारी रख

कौन कहे है मत रख बोझ
लेकिन बारी-बारी रख

  हम्मालों के जैसे सुन
कहने में सरदारी रख