थोड़े दिनों बाद / नंद चतुर्वेदी
थोड़े दिनों बाद
जब लोग समझ जाएंगे
जल्लाद और सितमगरों के इरादे
तब उन्हें याद आएगा
प्रेम, संगीत का झरना
कविता की सुगंध
नीली रोशनी वाला अतलान्त जल
बर्फ का सफेद कोट पहने कंचनजुंगा
अन्तःसलिता श्यामला पृथ्वी
थोड़े दिनों बाद
जब लोग समझ जाएंगे
सिंहासनारूढ़ लोगों के टुच्चे मन
अपने मन के दर्पण में देखेंगे
एक सहस्त्रदल कमल
हज़ारो टहनियों वाले छायादार वृक्ष
एक समयातीत उदार मन की हँसी
थोड़े दिनों बाद
जब वे घमण्ड लगाने वाले
हत्यारों की ज़िद और मूर्खता से
थक जाएँगे
तब वे अपने बच्चों से कहेंगे
एक बदमिज़ाज और हत्या के प्रसंग
निर्दोष बालकों के हत्या प्रसंग
धर्मोन्माद के तंग और हरामी
षड्यन्त्रों की कहानियाँ
कुछ भी हो
आदमी की दोस्ती अमर है
हँसी-मजाक, खेल-तमाशे
खुली ज़िन्दगी और मनमौजी समय।