दंगल / रामकृपाल गुप्ता
न जाने आ गया किस ओर से
किस ठौर का कुत्ता
घिरा इस ठौर के कुत्तों से
वह बैठौर का कुत्ता
निपोरे खीस दाबे दुम
पड़ा है चित्त वह कुत्ता
निहारे जा रहा है सिर पर
आई मौत वह कुत्ता
गले से गुर्र गुर-गुर गूँ
कभी कें-कें कभी पें पें
सरेंडर कर के निज प्राणों
की मांगे भीख वह कुत्ता
ख़बर पाकर किसी मुखबिर से
फिर कुछ श्वान मुस्टंडे
लपक कर आ गए ले करके
अपने रॉड और डंडे
शुरू फिर हो गया गुर्रा के
भौं भौं-भौं महाभारत
उछल कर के उठा कुत्ता
पडा था जो महारत
इसे पटका उसे झटका
कहीं नोचा कहीं चोथा
जिसे मौक़ा मिला काटा
चलाए दांत फर्राटा
दुबक कर घुस गए भीतर
डरे सब कॉलोनी वाले
दबंग कुत्तों के दो गुट की
लड़ाई क्या न कर डाले
किसी बिग डॉन ने हांका
चले आए पुलिस वाले
इसे मारा उसे पीटा
कई पोटा लगा डाले
शुकर है हो गया ठंडा
ये छोटा युद्ध दलबल का
मगर हिंदुस्ता अपना
करे क्या दल का, दलदल का