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दइया ओ दइया बन्नी के नजर लागी / हिन्दी लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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दइया ओ दइया बन्नी के नजर लागी-2
मैं डिबिया काजल की लेकर भागी
शीश बन्नी के टीका सोहे
कान बन्नी के कुण्डल सोहे
दइया ओ दइया झूमर पे नजर लागी
दइया ओ दइया झुमके पे नजर लागी
मैं डिबिया .......
गले बन्नी के हरवा सोहे
हाथ बन्नी के कंगना सोहे
दइया ओ दइया लटकन पे नजर लागी
दइया ओ दइया चूड़े पे नजर लागी
मैं डिबिया .......
कमर बन्नी के तगड़ी सोहे
पांव बन्नी के पायल सोहे
दइया ओ दइया गुच्छे पे नजर लागी
दइया ओ दइया बिछुवे पे नजर लागी
मैं डिबिया.....
अंग बन्नी के साड़ी सोहे
संग बन्नी के बन्ना सोहे
दइया ओ दइया, चूनर पे नजर लागी
दइया ओ दइया जोड़ी पे नजर लागी
मैं डिबिया.....
दइया ओ दइया बन्नी के नजर लागी-2
मैं डिबिया काजल की लेकर भागी