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दकियानूस / गोपाल ठकुर

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मां राहगीरु रही बि
लॻे थो
उते जो उते बीठो आहियां
न मूं समुझो तोखे
न पाण खे
सदियूं पुराणी हीअ सक़ाफ़त
इनसानी नफ़त खे घटाइण में
असमर्थु रही।