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दगड़्या को दी आवाज़ / राजा खुगशाल
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अर्राते पेड़ों के आस-पास
गूँजती रही
दगड़्या को दी आवाज़ ।
शताब्दी के सवालों के
समाधान की शक्ल खोजती रही
दगड़्या को दी आवाज़ ।
मिट्टी से सने दिनों
और ज़िन्दगी के धूसर पहाड़ों पर
लिपटी रही
दगड़्या को दी आवाज़ ।