दगाबाज दुनिया है सबै कुछु रुपइया
तरफराति पिंजरा है काठ कै चिरइया।
कबौ लोनु रोटी है
बसि फटही धोती है
आँखिन-मा बूड़े हैं सुर्ज औ जोन्हइया।
हम करजा ढोइति है
मूडु पकरि रोइति है
जइसे सब मरिगे हैं बाप अउरु मइया।
किसमत सबु गोड़ि चुकी
लोटिया लौ बूड़ि चुकी
अब बूड़े वाली है स्वाँसा कै नइया।