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दन्त क्षत से अधर व्याकुल.../ कालिदास
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- लो प्रिये हेमन्त आया!
दन्त-क्षत से अधर व्याकुल,
- तरुण मद से नयन धूर्णित
मीन कुच कर सधन मर्दित
- लेप सब करते विचूर्णित,
अंगना तन में सुरत ने
- मधुर निर्दय भोग पाया,
- लो प्रिये हेमन्त आया!