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दमन / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़
Kavita Kosh से
स्वप्न
नहीं अब
स्वप्नद्रष्टाओं के लिए,
न ही गीत
गायकों के लिए।
कुछ प्रदेशों में
छाई हैं
गहन रातें
और संगीनें,
फिर भी
लौटेंगे स्वप्न,
और गीत
आएँगे बाहर
तोड़कर कारा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’