भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दमन / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वप्न
नहीं अब
स्वप्नद्रष्टाओं के लिए,
न ही गीत
गायकों के लिए।

कुछ प्रदेशों में
छाई हैं
गहन रातें
और संगीनें,

फिर भी
लौटेंगे स्वप्न,
और गीत
आएँगे बाहर

तोड़कर कारा।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’