दया: दलित सन्दर्भ में / शैलेन्द्र चौहान
सोचता रहा हूँ सारी रात
औरों के द्वारा की गई दया के बारे में
किस-किस पिजन होल में
रखी है कितनी और किस तरह की दया
न जाने कितने दयालु देखे हैं
मैंने जीवन में
और उनका कैसा-कैसा दान
यह दया उन्होंने किसके लिए और क्यों की
यह क्यों नहीं बताते साफ़-साफ़
टाटा समर्थ है
देश और शासकों पर दया करने के लिए
बिड़ला लक्ष्मी नारायण पर
भारत के प्रधानमंत्री
वणिकों, दलालों, अपराधियों पर
प्रशासनिक अफसर, पुलिस
चोरों, लुटेरों, हत्यारों पर
वर्ल्डबैंक, आई एम एफ, ए डी बी
अमेरिका
दया कर रहे हैं
तीसरी दुनिया के गरीब देशों पर
उस दिन एक हत्यारे ने मुझ पर दया की
जान से नहीं मारा दोनों हाथ काट दिए
डाकू ने दया की सब लूट लिया
जान बख़्श दी
गुंडे ने दया की फिरौती ली
बेइज़्ज़त नहीं किया
सवर्णों ने बड़ी दया की
रात-भर दलित प्रश्न हल किया
सामूहिक नरसंहार हुआ
उन्होंने खेद प्रकट किया
पग-पग पर लोगों ने
मुझ पर दया की
हर दया चस्पा है
मेरे मन पर
मेरा हर घाव रिस रहा है
मवाद बनकर।