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दरदे अबले उपहार मिलल / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

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दरदे अबले उपहार मिलल
अपना मतलब के यार मिलल

बगिया-बगिया कम ना छनलीं
बदले कुसुमन के, खार मिलल

आटा गिल कइलीं घर ही के
कुछ यश, कुछ बा आभार मिलल

पग-पग पर बाधा बान्ह बनल
राहे चलते बटमार मिलल

कइसे थम पाई लूट-झपट
भक्षक जब पहरादार मिलल

हम मंचन कइलीं तन-मन से
जइसन हमरा किरदार मिलल

दाता धरती पर लउके ना
जे लउकल से लाचार मिलल