भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दरद जाने कोय हेली / मीराबाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥ध्रु०॥
घायलकी गत घायल ज्याने। लागी हिये॥१॥
सुली उपर सेजहमारी। किसबीद रहीये सोय॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वदे सामलीया होय॥३॥