भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दरद रो हठ / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आंख्यां रा आंसू कैवै
म्हे दरद नै अंगेजांला
अर
दरद हठ करियां बैठियो है
कै आं पानां पर तो
नीं उतरूंला
कलम डुबावो
आंसुवां में
या स्याही में ।