हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दरद हमने सहे ये सैयां के लाल कैसे कहाये
आओ सास रानी बैठो पलंग पर
हमारा न्याव चुकाओ सैयां के लाल कैसे कहाये
चाहे बहू मारो चाहे बहू छोड़ो
लाल तो बेटे के कहाये, तुम्हारे लाल कैसे कहाये
आओ नणद रानी बैठो पलंग पर
हमारा न्याव चुकाओ सैयां के लाल कैसे कहाये
चाहे भाभी मारो चाहे गरियाओ
लाल तो भैया के कहाये, तुम्हारे लाल कैसे कहाये
मैं पड़ीसूं वीर की कैद लाल मेरी कैद छुड़ाओ जी महाराज
मां मैं क्यूँकर जनम जे ल्यू
टुटी खटिया फटी गुदड़िया छोरड़ा कह कै बोलो जी महाराज
जो लाला थम जनम ले ल्यो, सूतो के पिलंगा मखमल के गद्दा
किरसन कह कै बोलें हर कह कै बोलें जी महाराज
आधी सी रात अर खुले हैं किवाड़ पहरेदार सोये जी महाराज