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दरबारां मैं शोर माचर्या थूकैं दासी दास तनै / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों महारानी केतुमति अंजना के लाख समझाने पर भी उस की बातों का विश्वास नहीं करती और अंजना को महल से निकाल देती है। पवन जब युद्ध से वापिस आता है तो सारी घटना का पता चलता है तो वह अपनी माता केतुमति को क्या कहता है-

बुरा मान चाहे भला कहूं एक गलती कर दी खास तनै।
दरबारां मैं शोर माचर्या थूकैं दासी दास तनै।टेक

बारा साल तक रही एकली जाग्या कोन्या लोभ कती
राणी तैं बणी काग उड़ाणी सारा ओटया रोब कती
एक बेल थी फूल लागण की तनै कतरदी गोभ कती
स्याणी हो कै निस्तरगी दिये चौगरदे तै डोब कती
एक बहू घर मैं थी करणी चाहिए थी ख्यास तनै।

सासू देखै बाट बहू की कद आवै नई नवेली री
पूर्णमासी नै ब्रत करै प्रसाद चढ़ावै भेली री
एक पवन तेरा बेटा था वा अंजना बहू अकेली री
वा भी घर तै काढ़ दई करे उल्टे बांस बरेली री
नोमा महीना गर्भ लागर्या वा राखी कोन्या पास तनै।

घर के भाग सवाए हों जब बहू पैड़ साल में धर्या करै
लक्ष्मी रूप बीर का होन्यूं कोठ्यां में धन जर्या करै
बेटा जण कै न्यूं खाया जा और के बड़का भर्या करै
बेटे का घर बस्या रहै न्यू मालाराम की फिर्या करै
सीलक नहीं हुई बेटे की कर दिया सत्यानाश तनै।

नौ महीने हुए अंजना का ठा ल्याया था हेज मनै
मेहर सिंह के कर्म माड़े दें बोडर उपर भेज मनै
के तै गोली तै मरज्यां ना कपड़ ले ज्यां अंग्रेज मनै
या बात कालजै लागै सै री तेगे तै भी तेज मनै
कितै सिंगापुर मैं मारया जा ना मिलै पूत की ल्हास तनै।