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दरभंगा नगर निगम / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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नगर पालिका बनल निगम
आब नागरिककेँ की गम।
सड़के पर नाली संगम
सौंसे नगर करय गमगम॥
बाट चलैत पड़य जँ थाल,
करू ताहि सँ शोभित भाल।
अपन भाग्यकेँ मानि विशाल,
तकरा करिया बूझि गुलाल।
निगम कृपासँ चन्दन लेप,
मानि लगाउ पचासो खेप।
रहू प्रशासनसँ निर्लेप
अपनाकेँ मानू-‘छी ढेप’॥
सावधान रहितहुँ जँ ठेस
लागय, बुद्धि बढ़ैछ विशेष
मानी, नहि मन आनी क्लेश
तुरत कही-जय मिथिला देश॥
थिक मिथिलो भारतकेर अंग,
दिल्लीसँ तैयो की संग?
पटना पट, नाके बदरंग
तेँ दरभंगावासी दंग॥
पछिला चक्का उठल फटाक,
बुझनुक छी तेँ उतरि चटाक
मिस्त्री लग चल जाउ खटाक
छीकू बैसि पटाक-पटाक॥
रौरव नरक कहय परचारि
दरभंगासँ मानल हारि
की तकैत छी आँखि निड़ारि
नगर भरिक सौन्दर्य निहारि?
ककरा पर करबै अभिरोष,
करू प्रशासन पर नहि रोष
मानू अपन कपारक दोष
खाली छै सरकारी कोष॥
नेता सभक करू जयकार
जे चलबै छथि ई सरकार
अपनालै ‘सर’ केँ छनिकार
जनतासँ पुनि की दरकार?