भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्देसर था सज़द-ए-शामोसहर मेरे लिए / यगाना चंगेज़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्देसर था सजद-ए-शामोसहर मेरे लिए।

दर्देदिल ठहरा दवा-ए-दर्देसर मेरे लिए॥


दर्देदिल के वास्ते पैदा किया इन्सान को।

ज़िन्दगी फिर क्यों हुई है, दर्देसर मेरे लिए॥


फ़ितरते-मजबूर को अपने गुनाहों पै है शक।

वा रहेगा कब तलक तौबा का दर मेरे लिए॥