दर्देसर था सजद-ए-शामोसहर मेरे लिए।
दर्देदिल ठहरा दवा-ए-दर्देसर मेरे लिए॥
दर्देदिल के वास्ते पैदा किया इन्सान को।
ज़िन्दगी फिर क्यों हुई है, दर्देसर मेरे लिए॥
फ़ितरते-मजबूर को अपने गुनाहों पै है शक।
वा रहेगा कब तलक तौबा का दर मेरे लिए॥