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दर्दे दिल और भी सवा होगा / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'

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 दर्दे-दिल और भी सवा होगा
आज सदमा कोई नया होगा

हो लिए हैं वो साथ ग़ैरों के
और भी कुछ मेरे ख़ुदा होगा

तूने दर से जिसे उठाया था
अयाज दुनिया से उठ रहा होगा

आप ने हंस के जिसको देख लिया
अपनी किस्मत सराहता होगा

चल बसा आज दहर से 'अंजान'
आपने भी तो सुन लिया होगा।