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दर्दे दिल को दवा कहे कोई / रंजना वर्मा
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दर्दे दिल को दवा कहे कोई।
क्या है ये माज़रा कहे कोई॥
इश्क़ की जुस्तजू सभी को है
लाख इस को ख़ता कहे कोई॥
जिंदगी दर्द का है अफ़साना
कोई अच्छा बुरा कहे कोई॥
डाल दी आसमान ने चादर
अब भले आसरा कहे कोई॥
हो गईं दूर महफिलें दिल से
जिंदगी को सज़ा कहे कोई॥