भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द अपनाता है पराए कौन / जावेद अख़्तर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है और सुनाए कौन

कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन

वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन

अब सुकूँ है तो भूलने में है
लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन

आज फिर दिल है कुछ उदास उदास
देखिये आज याद आए कौन.