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दर्द का एहसास हो / रविकांत अनमोल
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दर्द का एहसास हो
हल्की हल्की प्यास हो
चश्म-ए-तर से दूर तुम
दिल के आस पास हो
ज़िन्दगी तुम्हीं से है
ज़िन्दगी की रास हो
एसा लगता है मुझे
शह्र में बनवास हो
अपना ग़म मुझसे कहो
तुम क्यों मह्वे-यास हो