भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द की देखभाल रखते हैं / सूरज राय 'सूरज'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द की देखभाल रखते हैं।
ज़ख़्म अपना ख़याल रखते हैं॥

देखना छोड़ दीजै विज्ञापन
आप रिज़्के-हलाल रखते हैं॥

विग तुम्हारे हों मुबारक तुमको
दोस्त! हम सर पर बाल रखते हैं॥

तब्सिरा न करें गरेबाँ पे
आप साड़ी के फॉल रखते हैं॥

रंग मजहब का बनाने वालों
हम सभी ख़ून लाल रखते हैं॥

ख़ूं से भर जाये दिल तो आ जाना
हम वफ़ा का गुलाल रखते हैं॥

यार नेताओं के वादे, क़समें
चायना मेड माल रखते हैं॥

वो चिरागों को भी बुझा देंगे
जो कहन में मशाल रखते हैं॥

फ़र्क़ बकरे को कत्ल करने में
सिर्फ़ झटका-हलाल रखते हैं॥

खेल हूँ वक़्तो-मुकद्दर का मैं
सिर्फ़ सिक्का उछाल रखते हैं॥

अश्क हर पल जवाब हैं जिनके
लब पर कितने सवाल रखते हैं॥

जंग रिश्तों में लग नहीं सकता
दिल में हम सालो-साल रखते हैं॥

लफ़्ज़ दाने अनार के उनके
वो जो फ़ि तरत में जाल रखते हैं॥

दर्द "सूरज" का समझने वाले
जुगनुओं को सम्हाल रखते हैं॥