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दर्द के हरे पेड़ में / केदारनाथ अग्रवाल

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खबर है :
कि दिक् और काल से
पलायन कर गया वह
दर्द के हरे पेड़ में
एक बुझी
लालटेन टाँगकर
नींद की गोद में नदी को सोया
छोड़कर

रचनाकाल: संभावित १९६८