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दर्द दिल में बहुत पर बुझाता नहीं / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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दर्द दिल में बहुत पर बुझाता नहीं।
दिन गुजरता गया पर बताता नहीं।।
आपकी याद में मैं पिघलता रहा।
दीप जलता रहा कुछ सुझाता नहीं।।
दूध मक्खन बना देखता रह गया।
द्वार पर भी कभी सर झुकाता नहीं।।
या खुदा ये मुझे तू अकड़ क्यों दिया।
छूट अपने गये पर पिराता नहीं।।
मैं कभी भी किसी को भुलाया कहाँ।
क्यों न अपना रहा क्यों बताता नहीं।।
जा अकेला रहा छोड़ सब कुछ यहाँ।
चाह कर भी इसे भूल पाता नहीं।।