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दर्द दिल मे दबाये हुए हैं / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
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दर्द दिल में दबाए हुए हैं ।
लग रहा चोट खाए हुए हैं।।

यूँ तो हँसना हुआ गैर मुमकिन
लब मगर मुस्कुराए हुए हैं।।

बोझ ढोना न आसान होता
बोझ ग़म का उठाए हुए हैं।।

बाँट कर दर्द वो दूसरों का
दर्द अपना भुलाए हुए हैं।।

देह का घर हमारा हुआ कब
फिर भी कितना सजाए हुए हैं।।

देख सकते नहीं हैं जहाँ को
दीप फिर भी जलाए हुए हैं।।

डूबने का नहीं डर है कोई
वो जो चप्पू चलाए हुए हैं।।