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दर्द मेरा तेरे मतले पे अगर जायेगा / सूरज राय 'सूरज'
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दर्द मेरा तेरे मतले पर अगर जायेगा।
देख लेना कि तेरा शेर संवर जायेगा॥
मैं ज़माने की नज़र में चढ़ा जिसकी ख़ातिर
आज वह ही मेरी नज़रों से उतर जायेगा॥
जानता हूँ ग़मे-दुनिया मैं तेरी मन्ज़िल को
तू मेरे दर के सिवा और किधर जायेगा॥
ज़िन्दगी बख़्श दी क़ातिल ने उसे भीख़ में जो
बाज़मीर अब तो बिना मौत ही मर जायेगा॥
शर्त मक़्तल की तेरे गर है गरेबान या सर
फिर तो ये तय है कि जायेगा तो सर जायेगा॥
वो दरे-इश्क़ है ऐ दिल तू समझ ले वरना
तोड़ दूंगा तेरे पाँव जो उधर जायेगा॥
नाख़ुदा तज्रबा कश्ती में बिठा ले तू मेरा
तू जो बोलेगा ये तूफ़ां में उतर जायेगा॥
तीर-तलवार से "सूरज" को डराने वालों
प्यार से हाथ रखो सर पर ये डर जायेगा।