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दर्द सीने में छिपाकर मुस्कुराना जानते हैं / रंजना वर्मा

दर्द सीने में छुपा कर मुस्कुराना जानते हैं।
गहन तम को चीरकर दीपक जलाना जानते हैं॥

सिंधु हो वैरी भले ही ज्वार यह कितने उठाए
लहर की पतवार से नौका चलाना जानते हैं॥

भाग्य देता धमकियाँ हैं रूठ जाने की हमें पर
रूठते भगवान को भी हम मनाना जानते हैं॥

है लहर कितने भँवर मझधार में है नाव पलटी
तैरकर विश्वास से हम पार जाना जानते हैं॥

दुश्मनों की दोस्ती तकलीफ़ अब देने लगी है
पर चलो हम प्यार का दामन बचाना जानते हैं॥