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दर्द हुआ अब काफ़ी उनका / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दर्द हुआ अब काफ़ी उनका
यादें रस्ता तकतीं उनका
क्यों हो वीराने की ख़्वाहिश
रात उन्ही की साथी उनका
हम अपना सब कुछ खो बैठे
कर्ज रहा पर बाकी उनका
तूफ़ां से अब कौन बचाये
कश्ती उनकी मांझी उनका
लब पर रही तिश्निगी सिमटी
जाम उन्ही का साक़ी उनका
रोज़ मना कर हार गये हम
कब होगा दिल राज़ी उनका
क्या अब देखें कल का सपना
अब तक तो था माज़ी उनका