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दर्द हो तो / कीर्ति चौधरी
Kavita Kosh से
दर्द हो तो बँटाने को लोग तो बहुतेरे ।
ज़रा बोलो तो सही, दूर हो व्यथा जो घेरे ।
लेकिन आख़िर उसे कुछ कहा भी तो जाए-
दौड़-दौड़ ख़ुद ही जो दर्द से करता है फेरे ।