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दर्पण हुआ पानी / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
थककर
बहाव का पानी
थिराव में थमकर
दर्पण हो गया
तुम्हारे दर्शन का मुखापेक्षी
रचनाकाल: २३-१०-१९७०