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दर राहे-तलब बस कि परीशां हस्तम / रतन पंडोरवी

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दर राहे-तलब बस कि परीशां हस्तम
बे यार-ओ-मददगार-ओ-निगहबां हस्तम
ऐ नासिरे-कोनीन नसीरे-मन शौ
मुतमन्नीए-अफ़ज़ाले-फरावां हस्तम।

अज़ कसरते-आलाम परीशां हस्तम
बीमारे-ग़मे-फ़र्क़त-जानां हस्तम
बर हाले-ज़बूं रहम बकुन ऐ दावर
हर लम्हा शब-ओ-रोज़-ओ-सना खाँ हस्तम।

तस्वीरे-निशाते-ज़िन्दगानी दीदम
यानी कि अलामते-जवानी दीदम
चूं रफ़्त शबाब अहदे-पीरीं आमद
अंजामे-फ़रेबे-उम्रे-फ़ानी दीदम।

हर राहे-तलब हश्र बपा मी बाशद
दिल पैकरे-तस्लीम-ओ-रिज़ा मी बाशद
चे बाक दरीं राह गुज़ारे-उल्फ़त
हर वक़्त ख़बर गीर ख़ुदा मी बाशद।