यह क्या कुलनारी ! तुम जहाज घाट पर देह बेचने आई हो
लुँगी पहना हुआ पानखोर दलाल नहीं रखा ?
सफ़ेदपोश कवि शरीर को छलनी कर देगा
शंख और लोहे की चूड़ियाँ उतार दोनों हाथों से खींच लेंगे तुम्हें लॉरी पर
लॉकअप में निर्वस्त्र मध्यरात्रि.......उस समय गाना तुम रवीन्द्र संगीत
छी कुलपुत्री ! तुम सबको करने देती हो प्यार
जिस-तिस के साथ जहाँ-तहाँ सो जाती हो
चारोंओर रंगीन आँखों वाले मंजे हुए ठग सब पर नज़र रखे हुए हैं, याद रखना
मैं तो स्ट्रेचरवाही हूँ, कुछ भी नहीं कर सकूँगा
शायद टिफ़िन डब्बे में ले आऊँगा रोटी और आलू-जीरे का भुजिया
गाना सुनाने के बीच झुक-झुक कर पैसा उठाऊँगा
सुबह होते ही गंगा के किनारे तुम खड़ी रहकर उल्टी करना
अस्पताल में मिलेगा बेडपैन ग्लूकोज बोतल में पानी
गन्दे बिस्तर के पास सोया हुआ तन्द्रागत कुत्ता ।
मूल बंगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
लीजिए, अब मूल बंगला में यही कविता पढ़िए
দালাল
এ কী কুলনারী তুমি জাহাজঘাটায় দেহ বেচতে এসেছো
লুঙি-পরা পানখোর দালাল রাখোনি
সাদাপোষাকের কবি শরীর ঝাঁঝরা করে দেবে
শাঁখা-নোয়া খুলে তারা দুহাত হিঁচড়ে টেনে তুলবে লরিতে
লকাপে ল্যাংটো মাঝরাত.....সে-সময়ে গেয়ো তুমি রবীন্দ্রসংগীত
ছিহ কুলখুকি তুমি সবায়ের আদর কুড়োও
যারতার সাথে গিয়ে যেখানে-সেখানে শুয়ে পড়ো
চারিদিকে কটাচোখ ধ্রুপদী জোচ্চোর সব নজর রাখছে মনে রেখো
আমি তো স্ট্রেচারবাহী কিছুই করতে পারব না
হয়তো টিফিনবাক্সে এনে দেব রুটি আর আলুজিরে ভাজা
গান শোনাবার মাঝে ঝুঁকে-ঝুঁকে পয়সা কুড়োবো
ভোর হলে গঙ্গার পাড়ে তুমি দাঁড়িয়ে-দাঁড়িয়ে বমি কোরো
হাসপাতালেতে পাবে বেডপ্যান গ্লুকোজ বোতলে জল
তালচিটে বিছানায় পাশে শোয়া ঘুমন্ত কুকুর ।