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दल बँधा फूल / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
दृढ़
हो तुम
वृंत पर जैसे खिला
दल-बँधा फूल
यद्यपि
पवन है
तुम्हारे प्रतिकूल
२४-०३-१९७१