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दल रे बादल बिन चमक्यो तारे / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दल रे बादल बिन चमक्यो तारे
कि सांझ पड़े पियु लागे प्यारे
कई रे जुवाब करूँ रसिया से
को रसियाजी तमखे किने बिलमाया
तो छोटी का जात बड़ी बिलमाय
बिछिया को रस अनवट लीनो
तो अनवट को रस रामचन्द्र लीनो
कई रे जुवाब करूँ रसिया से
जवाब करूँगी, सवाल करूँगी
केसरिया रा नैणां में रीझ रहूंगी
पातलिया रा नैणां में रीझ रहूंगी

(केसरिया, पातलिया आदि पति के सम्बोधन हैं। ‘अनवट’ अँगूठे का गहना है। ‘रामचन्द्र’ पति का पर्याय है।)