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दवा काबिल से सीखो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
Kavita Kosh से
दवा क़ाबिल से सीखो।
दुआ ग़ाफ़िल से सीखो।
दिलों की तस्करी तुम,
मेरे क़ातिल से सीखो।
छुपाना है किसी को?
किसी के दिल से सीखो।
गया क्यूँ दूर घर से?
किसी चिलबिल से सीखो।
मिले तारीफ़ कैसे?
हसीं के तिल से सीखो।
जो दिल टूटे करें क्या?
किसी पेंसिल से सीखो।