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दशरथ राजकिशोर मोपे जादू कीना रे / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दशरथ राजकिशोर मोपे जादू कीना रे।
मन मुसकाय के सैन चलाके, मन हर लीना रे,
निस दिन विकल रहत सखि, जैसे जल बिना मीना रे।
हाय दई निरदयी श्याम ने, दरद न चीना रे,
जब से अवध गये रघुनंदन, सुधहुं न लीना रे। दशरथ...
एक बार निज कर कमलन, लिख पत्र न दीना रे,
कंचन कुंअरि प्राण प्यारे बिन, किस विधि जीना रे। दशरथ...