दश महा विद्या / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
1. काली श्यामा (आद्या)
शव आसन समसान वास जनि रूप भयाने
विकट दन्तुरित लहलह रसना तीनि नयाने
खंग मुण्ड वर अभय चारु चारू कर ध्याने
श्यामा नगना, मुख सस्मित, शिर शोभित चाने
ग्रीवा मुण्डक मालिका, रूप मनोज्ञ - करालिका
आद्या भगवति कालिका भक्त - जनक परिपालिका
2. तारा (द्वतीया)-
बीज मन्त्र हुंकार मुखर शिव हृदय आसना
प्रत्यालीढ अरुण-चरणा, जनि रूप वामना
नील वरनि फणि लसित लम्ब पिंगल कच कुंचित
खंग नील नीरज काता खप्पर कर मण्डित
सजग जगत जड़ताक जे चूल-मूल संहारिणी
उग्र द्वितीयाा शक्ति से तारथु तारा तारिणी
3. षोडशी -
बाल अरुन वरनी, त्रिलोचनी, विपति मोचनी
नाम वयस षोडशी, षोडशी कला रोचिनी
भुज युग धय धनु बान, पाश - अंकुश कर आने
जयतु शिवा भगवती षोडशी शिशु शिर चाने
षड् रिपु दश इन्द्रियक जय, कला षोडशक यदि उदय
चहइत जे जन मन अभय, षोडशीक गहु पद सदय
4. भुवनेश्वरी -
उगइत दिनकर किरण समाने कान्ति निधाने
चन्द्र किरीटिनि तुंग पयोधर गिरि उपमाने
अधर मधुर स्मिति रेखेँ लेखेँ नयन तीन तनि
वर आँकुश पुनि पाश अभय कर चारि चारु जनि
परमेश्वरि भुवनेश्वरी विदित जगत शरणेश्वरी
प्रणति पुष्प तति विनति युत तनिक चरण अर्पण करी
5. छिन्नमस्ता -
टप - टप रक्त तुबैत काटि सिर अपनहि हाथेँ
काता खप्पर लय कर, रंगिनि योगिनि साथे
अपन कबन्ध क सिरा - सिरा सँ रक्त क धारा
फुटय, पिबय तकरा मिलि जुलि, कत विकट उदारा
सिरमणि फणि वेष्टित चरण त्रिययनि नगना रंजना
विदित छिन्नमस्ता करथु छिन्न भवक भय बंधना
6. त्रिपुरभैरवी -
सहस - सहस सहसा सङ उगइत हो कदा च रवि
तखनहि तनिक तनक दुति अरुन वरन बरनत कवि
रक्त माल सिर, रक्त वसन, उर चन्दन रक्ते
त्रिनयनि, चन्द्र जडित्रत मुकुटे, हँसइत अनुरक्ते
जयमाला वर, अभय कर वेद, अविद्या दारिणी
त्रिपुरभैरवी भीरुता हरथु, दुर्मति क हारिणी
7. धुमावती -
छितरायल सिर केश रुच्छ; नहि स्वच्छ वसन तन
ऊँच नाक मुह फाँक अधिक वपु वलित केहन दन
लम्ब उदर उर, विरल दन्त मुख, तिख रुख नयने
प्रकृति विकृत चंचल कठोर झझकथि कटु वयने
कँपइत कर धय सूप पुनि, तकइत कटु कुटिलेक्षणा
विधुरा रूपहु वर - प्रदा धूमावती अलक्षणा
8. वगलामुखी -
सुधा सिन्धु बिच मणि मण्डप रचि रत्न क वेदी
सिंहासन क उपर राजित रिपु रसना भेदी
पीत वरनि - आभरनिदेवि पीताम्बर - धारिणि!
जिह्वा - स्तम्भिनि भक्त क हित रिपु जीभ विदारिणि
वाम हाथ जिह्वा पकड़ि दहिन हाथ मुद्गर गदा
शत्रुमर्दिनी करथु जग बगलामुखी सुखी सदा