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दसमाले ऊंचा है / हरीश भादानी
Kavita Kosh से
दसमाले ऊंचा है
बेगानापन
सड़कों
गलियों में टहले है
पहियों पर
बैठी खामोशी
कोरी आँखों में
लिखा हुआ है
टूटे हरफ़ों के मलबे का
बड़ा शहर है
अक्टूबर’ 77