भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दस्तकें / अग्निशेखर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बन्द दरवाज़ों ने
बुलाया दस्तकों को अपने पास
घबराया समय
और दस्तकों को हुआ कारावास
इस तरह हर युग में
बन्द दरवाज़े रहे उदास