भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दस्तक / सुदर्शन प्रियदर्शिनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जब भी
दो क्षण
मिले- शांत
ब्रह्मानंद से
लबालब ..
दरवाजे पर
किसी ने दस्तक
दे दी -
जैसे सोये हुए
शिशु के
शांत -सुख अभिराम
सोंदर्य पर
किसी चुम्बन ने
रणभेरी दे दी ....!