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दस्तक / सुदर्शन प्रियदर्शिनी
Kavita Kosh से
जब भी
दो क्षण
मिले- शांत
ब्रह्मानंद से
लबालब ..
दरवाजे पर
किसी ने दस्तक
दे दी -
जैसे सोये हुए
शिशु के
शांत -सुख अभिराम
सोंदर्य पर
किसी चुम्बन ने
रणभेरी दे दी ....!