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दस बरस / जय गोस्वामी / जयश्री पुरवार
Kavita Kosh से
जब से प्रेम करने लगा तुम्हें
उस दिन से आज तक
दस बरस हुए पूरे ।
तुम इण्टरव्यू लेने आई थीं :
तुम्हारे बाँए हाथ मे था नोटपैड
और जेब मे जैल पेन लगा हुआ था ।
‘इस विषय मे आप कुछ बताएँगे ?’
पूछा था उस दिन तुमने,
और उसके बाद कितनी - कितनी बातें
कहता रहा मैं मन ही मन ।
उन सब बातों को भी आज दस बरस हुए ।
अगर तुम्हें कुछ कहना है,
तो कह लेना अब किसी दिन ।
जयश्री पुरवार द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित