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दस बार, बीस बार, बरजि दई है जाहि / ठाकुर

दस बार, बीस बार, बरजि दई है जाहि,
एते पै न मानै जो तौ, जरन बरन देव।

कैसो कहा कीजै, कछू आपनो करो न होय,
जाके जैसे दिन, ताहि तैसेई भरन देव॥

'ठाकुर कहत, मन आपनो मगन राखौ,
प्रेम निहसंक, रस रंग बिहरन देव।

बिधि के बनाए जीव जेते हैं, जहां के तहां,
खेलत फिरत, तिन्हैं खेलन फिरन देव॥