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दस हाइकु / कोबायाशी इस्सा / सौरभ राय
Kavita Kosh से
मुझे देख
तीतर चलता
दबे पाँव।
खुली खिड़की में
उजला चाँद
टर्राते मेंढ़क।
चेरी का खिलना –
हर पेड़ के नीचे
बुद्ध बैठे हुए।
पत्तेदार छाया में
तरबूज के तकिये पर सोया
बिलौटा।
कटाई का चाँद
समाधि में बैठे
बुद्ध।
मेरे मरने के बाद
मेरी क़ब्र पर प्रेम करना
टिड्डे !
बूढ़ा कुत्ता
सुन रहा
केंचुओं का संगीत।
धीरे, धीरे
गिरती बर्फ
कितनी स्वादिष्ट !
नाचती तितलियाँ
भूला रास्ता
थोड़ी देर।
बादल में चिड़ियाँ
सागर किनारे लोग –
छुट्टी का दिन।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय