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दस / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

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चैत हे सखी बसन्त बालक, फूलवा खिलै छै डारे-डार हे
भौंरा जे चूम-चूमी, मधवा भरावै, रसिया कन्हैया संग रार हे।

बैसाख हे सखी पछिा बौरहवा, बूझै नै बहै उमताय हे
अमुवा मंजरवा, छोट रे टिकोलवा, सबकेॅ झड़ैतेॅ चल्लो जाय हे।

जेठ हे सखी परती धरतिया, माटी मेॅ फुटलै बीवाय हे
मेघा जे गरजै रामा, झड़ै जे बुँदिया, सोन्हो-सोन्हो गमकाय हे।

अषाढ़ हे सखी पुरी नगरिया, रथयात्रा अटका परसाद हे
कनुआ कन्हैया, बलदाउ भैया, बहीन सुभद्रा संग साथ हे।

सावन हे सखी कट्ठा सिरैतिन, सखी संग कुसुमा निहाल हे
हरिसिंह बहनोइया, चिन्ही केॅ लिलिया, पूछै छै मोहना के हाल हे।

भादो हे सखी नन्द भवनमा, खेलै अकेेले बलराम है
कान्हा जनम ले केॅ, मथुरा नगरिया, पहँुची जे गेलै गोकुल धाम हे।

आसिन हे सखी पुनो चनरमा, भोला बनी केॅ ब्रजनार हे
खुली गेलै सड़िया, सुनी केॅ मुरलिया, नाचलै जे सुध बुध बिसार हे।

कातिक हे सखी तिथि अमसिया, जगमग अयोध्या राज हे
हरखित ऋषि मुनि, पुर देव देवी, राम सिया के साज हे।

अगहन हे सखी धम धम धमा धम, ऊखरी पेॅ धमसै समाठ हे
कोठी कोठिलवा, सैंती केॅ धनमा, मिंजा लारो पर ठाठ हे।

पूस हे सखी कूटै कूटनिया, हँसुआ कचिया मेॅ करे सान हे
जाँतो चकरिया, सील सिलौटिया, कूटै छै साँझ विहान हे।

माघ हे सखी मकर संकाति सेॅ, तिलेॅ तिलेॅ घटै जाड़ जान हे
तिलेॅ तिलेॅ बो दिहो, नाद तिनछिया, तुलसी गोसाँय बथान ह।

फागुन हे सखी फगुआ के दिनमा, रहि रहि मन अकुलाय हे
सब सखी खेलै, अपनो पिया संग, हमरोतेॅ लट लटुआय हे।