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दाग़ सीने के मेरे यार के देखे हुए हैं / मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

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दाग़ सीने के मेरे यार के देखे हुए हैं
ये चमन नर्गिस ऐ बीमार के देखे हुए हैं

हम नै झेले हैं ज़माने के नशीब ओ फ़राज़
पैच ओ ख़म वादी ऐ पुर खार के देखे हुऐ हैं

ये भी जलता है किसी और इलाक़े में चलें
ये मनाज़िर तो कई बार के देखे हुए हैं

बच निकलने का हुनर खूब उन्हे आता है
रास्ते सब मेरी सरकार के देखे हुए हैं

जींस ऐ खालिस का वहाँ कोई खरीदार नहीं
हम भी जलवे तेरे बाज़ार के देखे हुए हैं

दूसरा अक्स नहीं उन से उभरने वाला
आईने यार ऐ तरहे दार के देखै हुए हैं

इतनी हमदर्दी से मत पूछिये हालत मेरी
सारे ज़ख्म आप कि तलवार के देखे हुए हैं