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दाढ़ी / नील कमल
Kavita Kosh से
अपराधी नहीं काटते दाढ़ी
दाढ़ी संन्यासी भी नहीं काटते
दाढ़ी में रहता है तिनका
तिनका डूबते का सहारा होता है
दाढ़ी वे भी नहीं काटते
जिनके पास इसके पैसे नहीं होते
दाढ़ी सिर्फ दाढ़ी नहीं होती
यह इतिहास के गुप्त प्रदेश में
उग आई झाड़ी है
इस झाड़ी में छिपे बटेर
ढ़ूँढ़ रहें हैं शंकराचार्य
ढूँढ़ रहे हैं शाही ईमाम ।