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दादा साहेब के घर पोता भयेल हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बधैया

दादा साहेब के घर पोता भयेल हे।
पोता निछाउर<ref>न्योछावर। नेग</ref> कछु देवऽ<ref>दोगे</ref> कि न?।
हमसे असीस<ref>आशीर्वाद</ref> कछु लेबऽ<ref>लोगे</ref> कि न?॥1॥
देबो<ref>दूँगा</ref> मैं देबो पोती अन धन सोनवाँ।
हमरा ही<ref>हमारे यहाँ</ref> नाचबऽ आउ<ref>और</ref> गयबऽ कि न?॥2॥
गयबो मैं गयबो दादा, दिनमा से रतिआ<ref>दिन से रात तक</ref>।
अपन खजाना लुटयबऽ कि न?॥3॥
जुग जुग जिओ दादा तोहर होरिलवा<ref>नवजात शिशु</ref>।
हमर ससुर घर पेठयबऽ कि न?॥4॥

शब्दार्थ
<references/>